Monday, March 10, 2014

राहुल गांधी के नाम खुला पत्र :


प्रिय राहुल जी , 
कई वर्षो से आप राजनीति  में स्थान बनाने के लिए प्रयासरत हैं। आपके खानदान के किसी व्यक्ति को इतनी मसक्कत नहीं करनी पड़ी थी।इसकी वजह तो आप समझ ही  रहे होंगे। मोतीलाल नेहरू एक वरिष्ठ वकील थे।  उनकी बौद्धिकता भी स्थापित थी।  शायद आपको जानकारी होगी  कि  वे एक रिपोर्ट के Author भी थे जिसे नेहरू रिपोर्ट के नाम से जाना जाता है।  वे Independent  नमक आखबार के प्रकाशक और सम्पादक भी थे।  आपके नाना जवाहर लाल नेहरू के विचारो से विरोध हो सकता है पर उनकी अपने तरह की बौद्धिकता शक से परे था।  आखिर एक महान ग्रथ Discovery of India  के वे लेखक थे।  उन्होंने नेशनल हेराल्ड नमक आखबार  भी शुरू किया था  जिसकी  सम्पत्ति को  आपके  खानदान के आज के पुजारियों ने बेच डाला।  आपकी दादी इंदिरा गांधी देश की गूढ़ राजनीति को  समझ रखती  थी।  आपके  पिता राजीव गांधी की जीवन दृष्टि में आधुनिकता का बोध था। परन्तु   राजनीति में विवशता से  वे थोपे गए चेहरे थे।  वोट की समझ जरूर उन्हें थी  तभी तो धर्मनिरपेक्षता और आधुनिकता को ताक पर रखकर शाहबानो के प्रकरण में उन्होंने मुल्ला मौलवियो के सामने  घुटना टेक दिया और देश के Cr Pc  को भी धर्म के नाम पर बाँट  दिया।  बोफोर्स की दलाली करने वालो को बचाने  में उन्हें सत्ता गवाना पड़ा।  आपके स्वर्गीय पिता किसके दबाव में काम कर रहे थे इसका पता तो घर के लोगो को आधिकारिक तौर पर निश्चित रूप से अधिक होना चाहिए।  
आप बार बार अपनी दादी की  शहादत को याद करते है।  उनकी शहदात देश के लिए दुखदायी था और है।  उनसे वैचारिक भिन्नाता के बावजूद हम मानते हैं कि उनकी राष्ट्र के लिए प्रतिबद्धता अटूट थी।  आपके पिता और देश के तात्कालिन प्रधानमन्त्री राजीव गांधी ने अपनी स्वर्गीय माँ और देश की पूर्व प्रधानमन्त्री की हत्या पर जाँच आयोग बनाया था।  इसका नाम ठक्कर  आयोग था।  इसकी रिपोर्ट सरकार को सौपी गयी।  इसमें उनकी हत्या के अनेक आयामो पर प्रकाश डाला गया है।  कई गमनंदीर बाते कहीं गयी हैं , कई रहस्योद्घटान हुआ है।  क्या आप उससे अपरिचित हैं ? वे बाते सही या गलत हो सकती है  परन्तु आपकी सरकार , पार्टी एवं  आपकी माँ और कॉग्रेस की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी कि चुप्पी रहस्य बना हुआ है ? क्या आपने वह रिपोर्ट पढ़ी है ? 
संघ पर आप ऐसी बाते कर रहे हैं जो बचकानी भी नहीं कही जा सकती है।  अपने खानदान की सबसे कमजोर कड़ी  और बौद्धिक रूप से शून्य होने के कारण ही आपअनरगल  बाते कर रहे हैं उन्ही में एक  संघ को गांधी का हत्यारा बताना  है ।  खैर , आप इसे न्यायलय में सावित कर पाये यह मैं भरोसा रखता हूँ।  ऐसे आपकी पार्टी के एक अध्यक्ष सीताराम केसरी  इस प्रश्न पर अपनी गलती मानकर माफी मांग चुके हैं।  स्व अर्जुन सिंह भी माफ़ी मांग चुके हैं।  एक स्तम्भकार ए  जी नूरानी स्टेट्समैन  अखबार में ऐसी ही बात लिखने के लिए न्यायालय में  माफ़ी मांग चुके हैं।  
आपकी बौद्धिकता और समझ की  प्रेरणा  श्रोत दिग्विजय सिंह जैसे लोग हैं।तो  उसके  अनुसार आपका व्यवहार और वाचलता  ठीक ही है। परन्तु  एक बात आपको बता देना मुनासिब है।  संघ की विचारधारा और संगठन को नेहरू 1948  में गलत लांक्षणा लगाकार और राज्य कि शक्ति का भरपूर दुर्पयोग करके भी कुचल नहीं पाये थे तो आप किस गलतफहमी के शिकार हैं?  ऐसे  मै  आपको आग्रह करूँगा कि यदि भारत को समझना चाहते हैं तो संघ की शाखा और प्रशिक्षण शिविर में जरुर जाये।  जिनकी हत्या पर आप आंसू बहा  रहे हैं वे सचमुच में महान थे।  वे दूसरो कि बौद्धिकता से निर्देशित नहीं होते थे।   तभी तो 1934  में महात्मा गांधी संघ का कैंप देखने वर्धा में गए थे।  उनके साथ जमुनालाल बजाज भी थे। 1947 के सितम्बर में दिल्ली में संघ के स्व्यंसेवको को सम्बोधित  किया और उनके प्रश्नो का जवाब दिया।    इसकी रिपोर्ट हिंदुस्तान टाइम्स  और सिविल एंड मिलिट्री गजट में छपी थी।  आपने जब ठक्कर  आयोग की रिपोर्ट को ही अनदेखा  कर दिया तो  गांधी हत्या पर बनी कपूर कमीशन की रिपोर्ट आप क्यों पढ़ेंगे?  
शुभकामानाओ के साथ 
राकेश सिन्हा 

1 comment:

  1. bhagvan ne unko jamin par bheja hai, par bheja nahi diya. apne jo bhi likha vo bilkul sahi hai par pappu ki samaj sakti se ye sab pare hai.

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